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हाय पैसा हाय जिंदगी

एक रुपए में दिन गुजर जाता है
 लाखों में शाम नहीं ढलती
यह कैसा कागज है
 जिसके बिना जिंदगी नहीं चलती
कपड़ों में जेब लगवाई है
 पर नोटों की गड्डी नहीं मिलती
हवा का भी बड़ा मोल है 
सांसे यूं ही नहीं चलती
जिस से पूछा अच्छा बताया हाल
 सच्चाई किसी को नहीं दिखती
पैसा पैसा करते करते 
सुबह से शाम हो गई नहीं लगती
ऐसी मीठी उम्मीद है लालच की सूई
 जिसकी चुभन नहीं लगती
गजब की बातें हैं गजब का इरादा है इंसान का 
जिसकी उम्मीद नहीं मरती
दिल में आग लग जाती है
 पानी में क्यो नहीं लग सकती
लगा कर देखना लग जाएगी
 लगी लगने में देर नहीं लगती
#चेतनश्रीकृष्ण

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7 Comments

Suryansh

08-Sep-2022 10:36 PM

बहुत ही उम्दा और सशक्त

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लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Shnaya

28-May-2022 07:57 PM

बेहतरीन

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